आप छटपटाते ही हैं
जीवन के अजब गजब ढंग कई बार बौखला देते हैं.आप देखते रहते हैं कि दुनिया में हर कोई एक दूसरे को पछाड़ कर आगे बढ़ने की फिराक में है और इसमें कोई सम्बन्ध किसी तरह के नैतिक सोच विचार में ग्रस्त कर पाने की शक्ति नहीं रखता. व्यक्तिगत सम्बन्ध हों, पारिवारिक सम्बन्ध हों, सामाजिक या व्यावसायिक सम्बन्ध हों- गरज कि सभी सम्बन्धों में एक दूसरे का इस्तेमाल करने से किसी को कोई गुरेज नहीं होता.
आप देख रहे होते हैं कि बड़ी मछली छोटी मछली को निगल रही है.
आप यह भी देख रहे होते हैं कि किसी एक मछली को बड़ी होने ही नहीं दिया जाता ताकि उसे निगला जा सके.उसके हिस्से का दाना चुराकर अपने जिस्म को बड़ा किया जाता है. फिर एक सुविधापूर्ण अवसर पर उस मछली को गड़प कर लिया जाता है.
आप यह भी जानते होते हैं कि जिस व्यक्ति में कुछ भी न्यूनता होती है उसे अपमानित करना समाज का सहज चलन है.
फिर भी जब इनमें से कुछ भी- या कई बार सब कुछ भी- आपके साथ घटता है तो यह सब कुछ जानना आपकी बौखलाहट को किसी भी तरह से कम नहीं करता. आप छटपटाते ही हैं.